Sunday, February 11, 2018

सुरभारती सुरम्या

श्रुतिसूक्तरुचिरमाला
शतशास्त्रसूत्रमूला
ऋषिवर्यचिन्तनीया
सुरभारती सुरम्या।।१।।

श्रीरामकृष्णलीला                 
जनहृदयहरणशीला               
इह पुष्पितातिदिव्या                
सुरभारती सुरम्या।।२।।         

इह निरुपमाः कवीन्द्राः           
देवोपमा मुनीन्द्राः                 
त्रैलोक्यवन्दनीया                 
सुरभारती सुरम्या।।३।।         

यो भारतस्य महिमा               
गर्जतीह गरिमा                      
तज्जन्मदात्री पुण्या               
सुरभारती सुरम्या।।४।। 

इयममितसुगुणधन्या             
इयमखिलविबुधमान्या            
सुहिताय सेवनीया                 
सुरभारती सुरम्या।।५।।

Thursday, February 1, 2018

॥ श्री गुरुध्यानम् ॥

अज्ञानध्वान्तविध्वंसिसहस्रकरतेजसम् ।
सच्चित्सुखात्मकब्रह्मनिविष्टहृदयाम्बुजम् ॥ १ ॥

पद्मासनोपविष्टञ्च ध्यानस्तिमितलोचनम् ।
समं कायशिरोग्रीवं धारयन्तं महाप्रभम् ॥ २ ॥

सहस्रकिरणस्पर्धिदेहकान्तिसमुज्ज्वलम् ।
निर्विकल्पसमाधिस्थं निश्चलावयवं शिवम् ॥ ३ ॥

देहादिब्रह्मपर्यन्ते भोग्ये तुच्छत्वधीयुतम् ।
आर्तानामार्तिहन्तारं जिज्ञासुविशयच्छिदम् ॥ ४ ॥

स्वावलोकनमात्रेण पुनानं निखिलं जगत् ।
मदीयहृत्सरोजातनिवेशितपदद्वयम् ।
विद्यातीर्थगुरूत्तंसं ध्यायामि भवमुक्तये ॥ ५

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॥ श्रीशारदागीतम् ॥

रचयिता :- जगद्गुरु श्रीमत् चन्द्रशेखरभारतीमहास्वमी
देवता :- श्रीशारदादेवी

मङ्गलं वरऋष्यशृङ्गनगरवासिनि ।
मङ्गलं सुरत्नभूषणालिभासिनि ॥

दन्तकान्तिनिर्धुताच्छकुन्दडम्बरे ।
शान्तचित्तसेव्यमानपादपङ्कजे ॥

शङ्करार्यरचितदिव्यचक्रमध्यगे ।
किङ्करायितामरेन्द्रमुख्यदेवते ॥

पादनम्रलोकसर्वकाञ्क्षितार्थदे ।
मोदमक्षयिष्णुमम्ब देहि शारदे ॥

॥ इति श्रीशारदागीतम् ॥

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